पावनखिंड़ के पराक्रमी ~ भाग १: शिवा काशीद
वह गुरु पूर्णिमा की रात थी। चंद्र अपनी पूर्ण कला में प्रकाशमान होता यदि वह बादलों से घिरा ना होता। आषाढ़ की अमृत वर्षा पन्हाळगड के शिखरों को और भी…
मंदिरों का भारत ~ भाग ३ : माँ पटनेश्वरी देवी, बिहार
माँ पटनेश्वरी देवी का समावेश 51 शक्तिपीठों में किया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार दक्ष प्रजापति के प्रसिद्ध यज्ञ के पश्चात पिता द्वारा किये गए शिव के अपमान से…
अमरेली उत्खनन में मिला शिवालय और बावड़ी
गुजरात राज्य के अमरेली में स्थित देवळिया गाँव के सरपंच द्वारा गाँव में स्थित प्राचीन बावड़ी के रखरखाव तथा उत्खनन के निर्देश दिए गए थे। उत्खनन के दौरान यहाँ से…
श्री वैकुंठ मूर्ति – भगवान विष्णु का अनूठा रूप
आम जनधारणा में वैकुंठ को विष्णु का निवास स्थान माना जाता है लेकिन कुछ जानकारों के मतानुसार वै-कुंठ = जहां कुंठा के लिए स्थान नहीं। विष्णु सहस्रनाम में भी चतुर्मूर्ति…
‘अभक्ते नैव दातव्यं’ – आस्था का अपमान और आक्रोश की अभिव्यक्ति
अतः न गजनी सफल हुआ था, न खिलजी, न औरंगजेब और न ही वामपंथी अपने उद्देश्य में सफल हो सकेंगे।
मंदिरों का भारत ~ भाग २ : विष्णुपद मंदिर, गया, बिहार
भगवान विष्णु का ये मंदिर निरंजना (फल्गु) नदी के किनारे अवस्थित है।
मंदिरों का भारत ~ भाग १ : लाखेश्वर महादेव, केराकोट, कच्छ, गुजरात
कच्छ के लाखेश्वर मंदिर का इतिहास
क्या ईस्ट इंडिया कंपनी ने हिन्दू देवी देवताओं को अपने सिक्कों पर स्थान दिया था?
स्वतंत्र भारत की सरकारों द्वारा सिक्कों पर देवी देवताओं को स्थान नहीं देना।
पुस्तक समीक्षा : “प्रभास” ~ तृषार
प्रभास - काल्पनिक चरित्रों और कहानियों के माध्यम से मुख्यतया सोमनाथ मंदिर की स्थापना और उस से जुड़े इतिहास के अलग-अलग आयामों को छूती है।
पुण्यश्लोक – अहिल्याबाई होळ्कर
महिला ने बिल्वपत्र को नर्मदा जल में भिगोते हुए शिवलिङ्ग के शिरोवर्तन पर चढ़ाया। तभी खंड के दरवाजे पर द्वारपाल ने कदम रखा।