प्रभास

इस संग्रह की लघुकथाएँ पौराणिक दर्शन से होते हुए रक्तरंजित इतिहास में प्रवेश करती हैं लेकिन इन संदर्भों का उपयोग सामयिक समस्याओं का हल ढूंढने के लिए कैसे किया जाए उसका भी मंथन करती हैं।

१. अच्युतानंतगोविंद प्रभास क्षेत्र में श्री कृष्ण के लीला समापन की घटना के साथ जीवन की जटिल समस्याओं में घिरे मनुष्य का मनोवैज्ञानिक निरूपण किया गया है।

२. प्रणय निवेदन ‘सुख’ के पीछे भागते आधुनिक मानव को यह कथा ‘आनंद’ की ओर ले जाने का मार्ग प्रशस्त करती है।

३. मेरे सोमनाथ सोमनाथ की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर हमीर जी के शौर्य का वर्णन करती कहानी आपको सोमनाथ मंदिर के शिल्प वैभव का भी रसपान कराती है।

४. यहाँ क्या हुआ था? यह कथा शिल्प, शिलालेखों और स्थापत्य के अनुपम उदाहरणों के माध्यम से सोमनाथ के इतिहास का वर्णन करती है।

५. शिक्षित अशिक्षित अपनी जडों से दूर होती जा रही युवा पीढ़ी को हमारी संस्कृति और विरासत की पहचान कराती यह पाठकों को एक अज्ञात मंदिर की यात्रा पर ले जाती है।

६. वह अमावस्या की रात संग्रह की अंतिम कहानी में एक खलनायक के मानस परिवर्तन का प्रसंग लिखा गया है।

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