रूपकुण्ड का रहस्य ~ भाग २
पहाड़ों में बसने वाले भारतीयों के अनुसार यह पहाड़ों की संरक्षक नंदादेवी का प्रकोप था।
प्राचीन से समकालीन तक…
पहाड़ों में बसने वाले भारतीयों के अनुसार यह पहाड़ों की संरक्षक नंदादेवी का प्रकोप था।
यदि भारत के सभी धर्म समुदाय में ‘एकता’ हो तो ‘सशस्त्र क्रांति’ कर के ब्रिटिश सत्ता को गिराना इतना कठिन नहीं था और इस बात को अंग्रेज ब-खूबी समझ चुके…
इस विप्लव में RIN के चार जत्थों के अस्सी जहाजों ने भाग लिया।
सन् १९४५, नवम्बर या दिसम्बर का एक दिन। मुंबई के तटवर्ती इण्डियन रॉयल नेवी के ठिकाने एमएमआईएस तलवार पर नीरव शांति पसरी हुई थी। सर्दियों की शुरुआत का खुशनुमा मौसम…
किसके थे यह कंकाल? कितने वर्ष पुराने थे इनके अवशेष? किसने किया था इनका संहार?
बाजीराव अर्थात ऐसा योद्धा जो अपने बाहुबल और युद्ध कौशल से बड़ी से बड़ी शत्रु सेना को ठिकाने लगा देता था।
पृथ्वीराज चौहान, नाम सुनते ही उस प्रतापी सम्राट का स्मरण हो आता है जिसने इस भारत भूमि की रक्षार्थ अपना सर्वस्व निछावर कर दिया । चलिए आपको ले चलते है…
बाईस संग्रामों को जीतने वाले इस वीर योद्धा को क्यों नकार दिया गया। इतिहास को अपनी बपौती समझ उलट पलट करने से सवाल पूछना जितना जरुरी है उतना स्वयं इतिहास…
गाँधी के विचार पारस थे जिसने भी उनके वचनों को गुना उसका हृदय स्वर्णाभा सा चमक उठा।
भारत के लिए द्रोहियों की कहानी कोई आश्चर्य की बात नहीं है।