मंदिरों की माला और माला के मनके
आपकी एलोरा की यात्रा तब तक पूर्ण नहीं मानी जाएगी जब तक आप पट्टाडकल के विरुपाक्ष मन्दिर की यात्रा नहीं कर लेते और
प्राचीन से समकालीन तक…
आपकी एलोरा की यात्रा तब तक पूर्ण नहीं मानी जाएगी जब तक आप पट्टाडकल के विरुपाक्ष मन्दिर की यात्रा नहीं कर लेते और
भैरव प्रतिमा के आसपास पिशाचों का चित्रण हो और शिव गणों की भी उपस्थिति हो
उत्तुंग हिमालय और नेपाल से द्रविड़ प्रदेश के महासागर तक भैरव को पूजा जाता है और जनमानस में उनकी यही छवि उन्हें लोकदेवता के आसन पर आरूढ़ करती है।
जिन मनुष्यों की बुद्धि माया के आवरण तले दबी होती है वह भगवान के इस भैरव स्वरूप को पहचान नहीं पाते।
काशी में जिस स्थान पर ब्रह्माजी का पाँचवा मस्तक गिरा उस स्थान को आज भी कपाल-मोचन के नाम से जाना जाता है।
मंदिरों के इस नगर की अन्यतम रचना है नव कैलाश मंदिर जो कि 108 टेराकोटा (ईंट) से बने शिव मंदिरों का समूह है।
सबसे बड़े शिव उकेरण को उनोकोतिश्वर काल भैरव कहते हैं।इनकी ऊंचाई साढ़े तेरह मीटर है। इनके जटा जूट ही साढ़े तीन मीटर ऊंचे हैं।इस शिव उकेरण के वाम भाग से…
आज नागपंचमी और सोमवार का दुर्लभ संयोग है और इसी अवसर पर चलिए जानते हैं भगवान शिव और सर्पराज तक्षक के संबंध की कथा।
भगवान विष्णु के दस अवतारों में से एक वराह का अवतार भी है यह तो अधिकांश लोग जानते ही हैं किन्तु महादेव के वराह रूप के बारे में शायद ही…