खेले मसाने में होरी दिगंबर
महादेव ने अपना दिगंबर रूप धारण किया और जोर जोर से डमरू बजाने लगे
विभाजन का षड्यंत्र और गणोशोत्सव की गरिमा
यदि भारत के सभी धर्म समुदाय में ‘एकता’ हो तो ‘सशस्त्र क्रांति’ कर के ब्रिटिश सत्ता को गिराना इतना कठिन नहीं था और इस बात को अंग्रेज ब-खूबी समझ चुके…
तीर्थंकरों की प्रतिमा में श्रीवत्स
श्रीवत्स, एक ऐसा शब्द है जिसका हिंदू जैन तथा बौद्ध कला में महत्व अलग अलग होता है।
‘आरती’ अनुष्ठान और महत्व
नियमानुसार देव प्रतिमा को प्रकाशित करने वाली आरती को दक्षिणावर्ती दिशा में घुमाया जाता है।
मंदिरों की माला और माला के मनके
आपकी एलोरा की यात्रा तब तक पूर्ण नहीं मानी जाएगी जब तक आप पट्टाडकल के विरुपाक्ष मन्दिर की यात्रा नहीं कर लेते और
भैरव: कथा और उनके विविध रूप ~ बटुक भैरव
भैरव प्रतिमा के आसपास पिशाचों का चित्रण हो और शिव गणों की भी उपस्थिति हो
‘प्रभास’ कहानी जो पुस्तक में प्रकाशित नहीं हुई
तीन वर्ष तक मैंने अपने अश्रुओं से मृतप्राय हो चुकी आस्था को सींचा
भैरव: कथा और उनके विविध रूप
उत्तुंग हिमालय और नेपाल से द्रविड़ प्रदेश के महासागर तक भैरव को पूजा जाता है और जनमानस में उनकी यही छवि उन्हें लोकदेवता के आसन पर आरूढ़ करती है।
भैरव: कथा और उनके विविध रूप
जिन मनुष्यों की बुद्धि माया के आवरण तले दबी होती है वह भगवान के इस भैरव स्वरूप को पहचान नहीं पाते।
भैरव: कथा और उनके विविध रूप
काशी में जिस स्थान पर ब्रह्माजी का पाँचवा मस्तक गिरा उस स्थान को आज भी कपाल-मोचन के नाम से जाना जाता है।