विभाजन का षड्यंत्र और गणोशोत्सव की गरिमा
यदि भारत के सभी धर्म समुदाय में ‘एकता’ हो तो ‘सशस्त्र क्रांति’ कर के ब्रिटिश सत्ता को गिराना इतना कठिन नहीं था और इस बात को अंग्रेज ब-खूबी समझ चुके…
प्राचीन से समकालीन तक…
यदि भारत के सभी धर्म समुदाय में ‘एकता’ हो तो ‘सशस्त्र क्रांति’ कर के ब्रिटिश सत्ता को गिराना इतना कठिन नहीं था और इस बात को अंग्रेज ब-खूबी समझ चुके…
श्रीवत्स, एक ऐसा शब्द है जिसका हिंदू जैन तथा बौद्ध कला में महत्व अलग अलग होता है।
आपकी एलोरा की यात्रा तब तक पूर्ण नहीं मानी जाएगी जब तक आप पट्टाडकल के विरुपाक्ष मन्दिर की यात्रा नहीं कर लेते और
भैरव प्रतिमा के आसपास पिशाचों का चित्रण हो और शिव गणों की भी उपस्थिति हो
तीन वर्ष तक मैंने अपने अश्रुओं से मृतप्राय हो चुकी आस्था को सींचा
उत्तुंग हिमालय और नेपाल से द्रविड़ प्रदेश के महासागर तक भैरव को पूजा जाता है और जनमानस में उनकी यही छवि उन्हें लोकदेवता के आसन पर आरूढ़ करती है।
जिन मनुष्यों की बुद्धि माया के आवरण तले दबी होती है वह भगवान के इस भैरव स्वरूप को पहचान नहीं पाते।
काशी में जिस स्थान पर ब्रह्माजी का पाँचवा मस्तक गिरा उस स्थान को आज भी कपाल-मोचन के नाम से जाना जाता है।
रावण यदि श्राप के प्रभाव में नहीं होता तो वह सीताजी को भी स्पर्श करने का प्रयास अवश्य करता।
भारत के लिए द्रोहियों की कहानी कोई आश्चर्य की बात नहीं है।