इन दिनों हर दशहरे को रावण का प्रशस्ति दिवस बनाया जा रहा है। दशहरे पर रावण के स्टेटस लगाए जाते हैं, शोर्ट्स और रील्स बनाए जाते हैं।
रावण का महिमामंडन करने वाले लोग उसके के पक्ष में तर्क देते है कि रावण महाज्ञानी था, शिवभक्त था, उसने सीताजी को स्पर्श तक नही किया, उसने अपनी बहन के सम्मान के लिए रामायण का युद्ध लडा़।
हालांकि रावण के लिए उपर कही गई हर एक बात सत्य होते हुए भी भ्रांति को जन्म देने वाली है! अधूरा ज्ञान बडा़ खतरनाक होता है। क्यों? यह हम आपको आगे बताते हैं।
एक भाई के रूप में रावण:
जब रावण की बहन शूर्पनखा ने उसकी इच्छा के विरुद्ध जा कर रावण के शत्रु विद्युतजिह्व से विवाह कर लिया तब अहंकारी रावण ने द्वेष के मारे अपने ही बहनोई विद्युतजिह्वा की ही हत्या कर दी और खुद की ही बहन को विधवा बना दिया। पतिहत्या से क्रोधित रावण की बहन शूर्पनखा ने रावण को श्राप देते हुए कहा कि यही अहंकार रावण की मृत्यु का कारण बनेगा।
रावण और महिला सम्मान:
रावण के साथ स्त्री सम्मान की बातें जोड़ने वाले यह नहीं जानते कि पुराणों की कथाओं में स्पष्ट लिखा है कि स्वर्ग की अप्सरा रंभा के साथ दुर्व्यवहार के कारण कुबेर पुत्र नल-कुबेर ने उसे श्राप दिया था कि अगर बिना अनुमति उसने किसी भी स्त्री को भोगा तो तत्काल प्रभाव से उसकी मृत्यु हो जाएगी। इसलिए सीता जी के अपहरण के बावजूद वह उनका स्पर्श तक नही कर सका।
स्त्रियों के प्रति रावण की संकुचित सोच को दर्शाती एक और कथा है। भगवान विष्णु से वरदान प्राप्ति की कामना से एक तपस्वी स्त्री वेदवती जंगल में तपस्यारत थी। स्त्रियों को भोग की वस्तु समझने वाले रावण ने उस तपस्वनी स्त्री को भी अपनी कामाग्नि का शिकार बनाना चाहा। तब उस तपस्विनी ने अपने प्राणों का त्याग करते हुए कहा कि ‘तुम्हारी वासना ही तुम्हारी मौत का कारण बनेगी।’
रावण स्त्रियों के लिए कितना बड़ा खतरा था इसका अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि उसने रंभा, पुंजिका, स्थला, उर्वशी जैसी अनेकों अप्सराओं और स्त्रियों पर बलात् आधिपत्य स्थापित करने के प्रयास किये थे।
यहाँ बस कुछ एक प्रसंगों का वर्णन किया गया है। ऐसे अनेकों किस्सों का पुराणों में विवरण है। रावण यदि श्राप के प्रभाव में नहीं होता तो वह सीताजी को भी स्पर्श करने का प्रयास अवश्य करता। रावण को अपनी कामोत्तेजना को उसे पूर्व में मिले श्रापों के कारण दबा कर रखना पडा़ था।
इसलिए इस दशहरे अपने अंदर के अज्ञानता के रावण को मारें और बिना ज्ञान अर्जित किए रावण जैसे राक्षसों का गुणगान करने से बचें।
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Featured image credits: indiatvnews
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