कोटाय नामक एक छोटा सा गांव गुजरात राज्य के कच्छ जिले के भुज में स्थित है। यह महज़ एक हजार की आबादी वाला गाँव भुज के जिला मुख्यालय से 24 किमी उत्तर की ओर स्थित है।
एक समय कोटाय का भव्य मंदिर एक स्थापत्य सौंदर्य हुआ करता था जिसके अवशेष मात्र अब इसकी अतीत की भव्यता के प्रमाण के रूप में खड़े हैं। केराकोट के शिव मंदिर के साथ इस कलात्मक मंदिर के निर्माण का श्रेय भी लाखा फुलाणी को ही जाता है।
खंडित अवस्था में स्थित इस मंदिर के आराध्य के विषय में निष्णात विभिन्न मत रखते हैं, कुछ जानकारों के अनुसार यह सूर्य मंदिर है तो कुछ इसे शिव मंदिर होने का दावा करते हैं। इसा की 9वीं-10वीं शताब्दी में सोलंकी शैली में निर्मित मंदिर का शिल्प सौंदर्य खजुराहो कला की याद दिलाती है।
मंदिर के केंद्र में स्थित गर्भगृह विशाल शिलाखंडों से ढका हुआ है। मंदिर के द्वारों को बड़े बारीकी से उत्कीर्ण किया गया है। प्रवेश द्वार के ऊपर नौ ग्रहों की रक्षा चौकी है। मंडप को चार स्तंभों से सजाया गया हैं, और केन्द्रीय भाग में छह स्तंभ हैं।
इस स्थान पर पहले अणगार गढ था और ऐसे नौ ऐतिहासिक मंदिरों का निर्माण जाम लाखा ने कराया था जो समय के साथ जीर्ण होते हुए रखरखाव के अभाव में नाम शेष हो गये हैं। मंदिर के पश्चिम दिशा में तीन अन्य छोटे मंदिर के अवशेष हैं, उत्तर की तरफ एक छोटा वैष्णव मंदिर है।
पूर्वमुखी मंदिर समुह में से अब केवल एक मंदिर बचा है। उत्तर की दीवार के बाहर नृसिंह और पश्चिम में भगवान विष्णु हैं। समय के साथ यह सभी स्थापत्य अतिशय जीर्ण हो चुके हैं। हालांकि कुछ फिल्मों के गीतों की शुटिंग के लिए इन स्थापत्यों का उपयोग किया गया है।