Author: तृषार

गंतव्यों के बारे में नहीं सोचता, चलता जाता हूँ.

शिल्प परिक्रमा: जब भोलेनाथ ने धारण किया वराह बालकों की माता का रूप!!

भगवान विष्णु के दस अवतारों में से एक वराह का अवतार भी है यह तो अधिकांश लोग जानते ही हैं किन्तु महादेव के वराह रूप के बारे में शायद ही…

पावनखिंड़ के पराक्रमी ~ भाग २: बाजीप्रभु देशपांडे

ब्राह्म मुहूर्त का समय हो चला था, महादेव को संध्या वंदन करते हुए इस क्षीण अवस्था में भी बाजीप्रभु ने हूंकार किया, “हर… हर…” पीछे से हिंदवी स्वराज्य का प्रतिसाद…

पावनखिंड़ के पराक्रमी ~ भाग १: शिवा काशीद

वह गुरु पूर्णिमा की रात थी। चंद्र अपनी पूर्ण कला में प्रकाशमान होता यदि वह बादलों से घिरा ना होता। आषाढ़ की अमृत वर्षा पन्हाळगड के शिखरों को और भी…

श्री वैकुंठ मूर्ति – भगवान विष्णु का अनूठा रूप

आम जनधारणा में वैकुंठ को विष्णु का निवास स्थान माना जाता है लेकिन कुछ जानकारों के मतानुसार वै-कुंठ = जहां कुंठा के लिए स्थान नहीं। विष्णु सहस्रनाम में भी चतुर्मूर्ति…

ज्ञानवापी वजुखाने में प्राचीन शिवलिङ्ग या फव्वारा? क्या कहते हैं शास्त्र?

एक तरफ शिवलिङ्ग के पक्षधरों के चेहरों पर उत्साह और आत्मविश्वास है तो दूसरी ओर औरंगजेब के पक्षधरों की बातों में घृणा और चेहरों पर क्रोध है।