स्थितप्रज्ञता का साक्षात्कार
लेकिन मैं उस मार्ग को छोड़ चुका था और मेरे लिए उस रास्ते पर फिर से जाना निरर्थक था।
प्राचीन से समकालीन तक…
लेकिन मैं उस मार्ग को छोड़ चुका था और मेरे लिए उस रास्ते पर फिर से जाना निरर्थक था।
हिंदू मंदिर में घंट, पुष्प, धूप और प्रसाद का महत्व
भगवान विष्णु के दस अवतारों में से एक वराह का अवतार भी है यह तो अधिकांश लोग जानते ही हैं किन्तु महादेव के वराह रूप के बारे में शायद ही…
ब्राह्म मुहूर्त का समय हो चला था, महादेव को संध्या वंदन करते हुए इस क्षीण अवस्था में भी बाजीप्रभु ने हूंकार किया, “हर… हर…” पीछे से हिंदवी स्वराज्य का प्रतिसाद…
वह गुरु पूर्णिमा की रात थी। चंद्र अपनी पूर्ण कला में प्रकाशमान होता यदि वह बादलों से घिरा ना होता। आषाढ़ की अमृत वर्षा पन्हाळगड के शिखरों को और भी…
आम जनधारणा में वैकुंठ को विष्णु का निवास स्थान माना जाता है लेकिन कुछ जानकारों के मतानुसार वै-कुंठ = जहां कुंठा के लिए स्थान नहीं। विष्णु सहस्रनाम में भी चतुर्मूर्ति…
स्वतंत्र भारत की सरकारों द्वारा सिक्कों पर देवी देवताओं को स्थान नहीं देना।
महिला ने बिल्वपत्र को नर्मदा जल में भिगोते हुए शिवलिङ्ग के शिरोवर्तन पर चढ़ाया। तभी खंड के दरवाजे पर द्वारपाल ने कदम रखा।
एक तरफ शिवलिङ्ग के पक्षधरों के चेहरों पर उत्साह और आत्मविश्वास है तो दूसरी ओर औरंगजेब के पक्षधरों की बातों में घृणा और चेहरों पर क्रोध है।
क्या यह दृश्य उस समय किए जाने वाले तांत्रिक अनुष्ठानों का द्योतक है? क्या इस स्थान पर सच में ऐसे अनुष्ठान किए जाते थे?