Category: इतिहास

पावनखिंड़ के पराक्रमी ~ भाग २: बाजीप्रभु देशपांडे

ब्राह्म मुहूर्त का समय हो चला था, महादेव को संध्या वंदन करते हुए इस क्षीण अवस्था में भी बाजीप्रभु ने हूंकार किया, “हर… हर…” पीछे से हिंदवी स्वराज्य का प्रतिसाद…

पावनखिंड़ के पराक्रमी ~ भाग १: शिवा काशीद

वह गुरु पूर्णिमा की रात थी। चंद्र अपनी पूर्ण कला में प्रकाशमान होता यदि वह बादलों से घिरा ना होता। आषाढ़ की अमृत वर्षा पन्हाळगड के शिखरों को और भी…

ज्ञानवापी वजुखाने में प्राचीन शिवलिङ्ग या फव्वारा? क्या कहते हैं शास्त्र?

एक तरफ शिवलिङ्ग के पक्षधरों के चेहरों पर उत्साह और आत्मविश्वास है तो दूसरी ओर औरंगजेब के पक्षधरों की बातों में घृणा और चेहरों पर क्रोध है।

पानिपत IV – एक अघोषित युद्ध

अभी तो सुबह के दस ही बजे थे और पानिपत जैसे छोटे शहर में मुझे एक लंबा दिन गुजारना था। बोरियत और चिढ़ से बचने के लिए मैंने डॉरमेट्री से…

खजुराहो – कामुक प्रतिमाएं या जीवन दर्शन?

खुद ब्रह्मचर्य के मशहूर प्रयोग करने वाले गांधीजी खजुराहो की मैथुन मूर्तियों को देश की संस्कृति के लिए शर्म मानते थे और वो चाहते थे कि इन खूबसूरत प्रतिमाओं को…