बटु विश्वास अचल निज धरमा
योगेश्वर श्रीकृष्ण की बालमोहक छवियों में वटपत्र पर लेटी हुई छवि सबसे मोहक लगती है। शिशुरूपी प्रभु कि इस छवि को संस्कृत में ‘वातपत्रसयी’ कहा जाता है
प्राचीन से समकालीन तक…
योगेश्वर श्रीकृष्ण की बालमोहक छवियों में वटपत्र पर लेटी हुई छवि सबसे मोहक लगती है। शिशुरूपी प्रभु कि इस छवि को संस्कृत में ‘वातपत्रसयी’ कहा जाता है
आनन्द भगवान् दशबल (बुद्ध) के बड़े भक्त थे। भगवान को थोड़ा कष्ट होने पर वह विकल हो उठते थे। प्रतिदिन रात्रि में नौ बार एक हाथ में दीपक लेकर और…
कानपुर के आसपास यानी बुंदेलखंड में ‘धनुषजज्ञ’ अति प्रचिलित एवम् लोकरंजन का प्रमुख नाट्यकर्म है।
धन्य है ऐसे दोस्त जो न खायेंगे न खाने देंगे के भाव के साथ न मिलेंगे न मिलने देंगे के भाव को चरित्रार्थ कर रहे है
निर्गुण का रंग गुरु का ज्ञान है। निर्गुण का फाग उस घट घट वासी का गुणगान है।
प्रभु श्री राम सहित तीनो भईयन की यह विवाह के बाद की पहली होली थी
धीरे धीरे दिन चढ़ने को आया लेकिन कृष्ण अपने गोप सखाओ संग बरसाने होली खेलने नही आए
महादेव ने अपना दिगंबर रूप धारण किया और जोर जोर से डमरू बजाने लगे
गाँधी के विचार पारस थे जिसने भी उनके वचनों को गुना उसका हृदय स्वर्णाभा सा चमक उठा।