धन्य है ऐसे होरियारे
धन्य है ऐसे दोस्त जो न खायेंगे न खाने देंगे के भाव के साथ न मिलेंगे न मिलने देंगे के भाव को चरित्रार्थ कर रहे है
प्राचीन से समकालीन तक…
धन्य है ऐसे दोस्त जो न खायेंगे न खाने देंगे के भाव के साथ न मिलेंगे न मिलने देंगे के भाव को चरित्रार्थ कर रहे है
निर्गुण का रंग गुरु का ज्ञान है। निर्गुण का फाग उस घट घट वासी का गुणगान है।
प्रभु श्री राम सहित तीनो भईयन की यह विवाह के बाद की पहली होली थी
धीरे धीरे दिन चढ़ने को आया लेकिन कृष्ण अपने गोप सखाओ संग बरसाने होली खेलने नही आए
महादेव ने अपना दिगंबर रूप धारण किया और जोर जोर से डमरू बजाने लगे