धर्म जो रस बरस रहा बरसाने सो रस तीन लोक में नाँय द्वारिका नाथ पांडेय धीरे धीरे दिन चढ़ने को आया लेकिन कृष्ण अपने गोप सखाओ संग बरसाने होली खेलने नही आए