भैरव: कथा और उनके विविध रूप
काशी में जिस स्थान पर ब्रह्माजी का पाँचवा मस्तक गिरा उस स्थान को आज भी कपाल-मोचन के नाम से जाना जाता है।
प्राचीन से समकालीन तक…
काशी में जिस स्थान पर ब्रह्माजी का पाँचवा मस्तक गिरा उस स्थान को आज भी कपाल-मोचन के नाम से जाना जाता है।
यह मंदिर मदुरंतकम झील किनारे के पास स्थित है। मंदिर में करुणाकरमूर्ति की एक छवि भी है।
स्वतंत्र भारत की सरकारों द्वारा सिक्कों पर देवी देवताओं को स्थान नहीं देना।