आजादी की कहानी
सुनी हमने कई कई बार औरों की जुबानी
टीवी, फिल्मों, किताबों में
उतर आए आजादी के अक्स ख्वाबों में
कैसे थे वो दीवाने और कैसी थी वो दीवानगी
आजादी की शमा रौशन रखने को जला दी अपनी जिंदगी
कुछ नाम हमने जाने, कुछ मशहूर जहॉं में हुए
कुछ किस्से मशहूर सदियों तक, दीवानगी की इन्तेहा में हुए
पर छूट गए पीछे
कई नाम, कई किस्से, कई लोग
वक्त की धूल जम गई नींव के पत्थरों पर
रह गए अनकहे
कई अद्भुत घटे-अनघटे संजोग
क्रांतिदूतों की कहानी
फिर बुंदेलों की जुबानी
शुरू होती है वहीं से
थी जहां की दिव्य रानी
मिलने आए हैं फिर मां के सपूत
क्रांतिदूत,क्रांतिदूत,क्रांतिदूत……
आजादी की लड़ाई में छूट गए अनेक नामों और किस्सों के साथ १० पुस्तकों की शृंखला की प्रथम कड़ी क्रांतिदूत के साथ डॉ मनीष श्रीवास्तवझांसी की धरती से यह कथा शुरू करते हैं, जिसने स्वतंत्रता के प्रथम युद्ध में आजादी की मशाल प्रखर रखी। इस कथा में आप पात्रों के साथ साथ दृश्यों में आगे बढ़ेंगे,अनेक अनापेक्षित चरित्रों एवं घटनाओं से आपका सामना होगा, हिंदी के साथ साथ स्थानीय भाषा का पुट आने से कथा और सोंधी तथा जीवंत हो जाती है। गंभीर भाषा शैली के ऐतिहासिक उपन्यासों के विपरीत कथा सरल भाषा शैली एवं छोटे छोटे प्रकरणों के रूप में है, जो इसे बालक एवं किशोर वर्ग के पठन हेतु सर्वथा उपयुक्त बनाते हैं।दुर्लभ चित्र एवं उनके पीछे की कथा इसे रोचक एवं मूल्यवान बनाते हैं बाइंडिंग में सुधार की आवश्यकता है।सर्व भाषा ट्रस्ट द्वारा मुद्रित INDICA के सहयोग से छपवाई गई ११७ पृष्ठ की यह पुस्तक ₹१५० में पेपर बैक संस्करण में उपलब्ध है।