अगर आप सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं और आपको यह वोट्स एप्प फारवर्ड नहीं मिला तो आप का सोशल मीडिया पर होना व्यर्थ है। वैसे इस वायरल पोस्ट में कितनी सच्चाई और कितनी काल्पनिकता है इसका उत्तर ढूंढने के लिए हमें भारतीय रिजर्व बैंक तथा ब्रिटिश सरकार के इतिहास और तथाकथित ब्रिटिश सिक्कों का बारीकी से अवलोकन करना आवश्यक है।
दावा १: ब्रिटिश सिक्कों पर हिंदू देवी देवताओं का चित्रण
रिजर्व बैंक के आधिकारिक वेबसाइट पर भारतीय सिक्कों का विस्तृत इतिहास उपलब्ध है। वेबसाइट पर उपलब्ध सूची में उपरोक्त सिक्कों का उल्लेख नहीं है। इस प्रकार से यह दावा ग़लत साबित होता है। एक अनुमान के मुताबिक वैष्णो देवी तथा सोमनाथ जैसे मंदिरों में भक्तों को शगुन के सिक्के (गुडलक कोइन) वितरित करने की परंपरा है और यह सिक्के भी उसी परंपरा का भाग होने की संभावना है।
यदि हम सिक्कों के इतिहास तक ना भी जाएं तो वायरल पोस्ट में दिख रहे सिक्कों का प्राथमिक अवलोकन करें तो हमें पता चलता है कि उन पर लिखे Anna का स्पेलिंग Aana लिखा गया है। ब्रिटिश सिक्कों पर इतनी बड़ी गलती की संभावना ना के बराबर है इसलिए यह सिक्के मंदिरों द्वारा वितरित होने के दावे को बल मिलता है।
दावा २: स्वतंत्र भारत की सरकारों द्वारा सिक्कों पर देवी देवताओं को स्थान नहीं देना।
भारत की सेक्युलर कही जाने वाली सरकारों से देवी देवताओं को सिक्कों पर स्थान दिया जाना कोई मान नहीं सकता और इस पोस्ट के वायरल होने का एक प्रमुख कारण यह भी है। लेकिन इसमें भी सच्चाई की मात्रा कम ही है। चलिए थोडी सी चर्चा इस पर भी कर लेते हैं।
नीचे दिखाए गए पांच तथा दस रुपए के सिक्कों पर वैष्णो देवी की प्रतिमा होना आश्चर्य की बात नहीं है। आपने भी रोज़ाना व्यवहार में यह सिक्के देखे होंगे।
वैष्णो देवी के उपरांत संत तुकाराम, संत ज्ञानेश्वर महाराज, तिरुवल्लुवर और बसवेश्वर जैसे धर्म और संस्कृति के ध्वजवाहकों को स्वतंत्र भारत की सरकारों ने सिक्कों पर स्थान दिया ही है।
नीचे दिख रहे सिक्के को तंजावुर के बृहदेश्वर मंदिर निर्माण के १००० वर्ष के वार्षिकोत्सव पर मिंट कराया गया था। इस सिक्के पर बृहदेश्वर / राजराजेश्वर मंदिर का सुंदर चित्रण किया गया है।
सिक्कों पर देवताओं की तस्वीर लगाना कितना उपयुक्त है?
जैसे कि हम सभी जानते हैं कि धन का उपयोग और दुरुपयोग दोनों किया जाता है। यदि भगवान की तस्वीर वाले सिक्के का उपयोग भ्रष्टाचार के लिए किया जाता है या फिर उन सिक्कों को किसी अपवित्र स्थान पर रखा जाता है तो यह देवताओं का अपमान करने बराबर है इसलिए देवताओं के चित्रों को सिक्के तथा करेंसी पर नहीं लगाना ही उपयुक्त होगा।