मेघदूतम् – १: कालिदास की अनुपम कृति का हिंदी अनुवाद
रामगिरी के क्षेत्र में श्राप त्रस्त एक यक्ष सहे वियोग की वेदना हुआ मोह से ग्रस्त!
बापू की उंगली थाम चली हिंदी की कलम।
गाँधी के विचार पारस थे जिसने भी उनके वचनों को गुना उसका हृदय स्वर्णाभा सा चमक उठा।