इतिहास बापू की उंगली थाम चली हिंदी की कलम। द्वारिका नाथ पांडेय गाँधी के विचार पारस थे जिसने भी उनके वचनों को गुना उसका हृदय स्वर्णाभा सा चमक उठा।