बुद्ध के आनन्द
आनन्द भगवान् दशबल (बुद्ध) के बड़े भक्त थे। भगवान को थोड़ा कष्ट होने पर वह विकल हो उठते थे। प्रतिदिन…
प्राचीन से समकालीन तक…
आनन्द भगवान् दशबल (बुद्ध) के बड़े भक्त थे। भगवान को थोड़ा कष्ट होने पर वह विकल हो उठते थे। प्रतिदिन…
पहाड़ों में बसने वाले भारतीयों के अनुसार यह पहाड़ों की संरक्षक नंदादेवी का प्रकोप था।
धन्य है ऐसे दोस्त जो न खायेंगे न खाने देंगे के भाव के साथ न मिलेंगे न मिलने देंगे के…
निर्गुण का रंग गुरु का ज्ञान है। निर्गुण का फाग उस घट घट वासी का गुणगान है।
प्रभु श्री राम सहित तीनो भईयन की यह विवाह के बाद की पहली होली थी
धीरे धीरे दिन चढ़ने को आया लेकिन कृष्ण अपने गोप सखाओ संग बरसाने होली खेलने नही आए
महादेव ने अपना दिगंबर रूप धारण किया और जोर जोर से डमरू बजाने लगे
यदि भारत के सभी धर्म समुदाय में ‘एकता’ हो तो ‘सशस्त्र क्रांति’ कर के ब्रिटिश सत्ता को गिराना इतना कठिन…
नियमानुसार देव प्रतिमा को प्रकाशित करने वाली आरती को दक्षिणावर्ती दिशा में घुमाया जाता है।
तीन वर्ष तक मैंने अपने अश्रुओं से मृतप्राय हो चुकी आस्था को सींचा